बीएसएफ डीजी विवेक जौहरी से फोन पर ही ली सहमति, एेनवक्त पर राजेंद्र कुमार का नाम कटा

भोपाल . मप्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की चयन समिति की बैठक में 1984 बैच के तीन आईपीएस अफसरों के नामों का पैनल तय हो गया। इसमें वर्तमान पुलिस महानिदेशक वीके सिंह, बीएसएफ के डीजी विवेक जौहरी और पुलिस रिफोर्म के स्पेशल डीजी मैथलीशरण गुप्ता शामिल हैं। दिल्ली में यह बैठक बुधवार को हुई। बताया जा रहा है कि पैनल के लिए पूर्व में वीके सिंह और मैथलीशरण गुप्ता के साथ राजेंद्र कुमार का नाम चर्चा में रखा गया था, लेकिन एेन वक्त पर राजेंद्र कुमार का नाम कट गया। विवेक जौहरी शामिल हो गए। 



जौहरी ने चयन समिति के सामने अपने नाम की चर्चा के लिए पूर्व में सहमति नहीं दी थी, लिहाजा डीजीपी पद के लिए उनके नाम को समिति के सामने नहीं रखा गया था। जब यूपीएससी मेंबर स्मिता नागराज, सीआईएसएफ के स्पेशल डीजी, एसएसबी डीजी, अतिरिक्त सचिव गृह और मप्र के मुख्य सचिव एसआर मोहंती के बीच पैनल पर बात होने लगी तो राजेंद्र का नाम आया।  



इस पर अतिरिक्त सचिव गृह ने जौहरी का नाम लिया। मोहंती ने कहा- वे इस समय बीएसएफ में डीजी हैं और उनकी सहमति भी नहीं है। इस पर अतिरिक्त सचिव गृह ने कहा- सहमति तो ली जा सकती है। इसी के बाद फोन पर जौहरी से बात की गई और उनकी सहमति ले ली गई। लंच के बाद उनका लेटर भी समिति तक पहुंच गया। लिहाजा एेन वक्त पर राजेंद्र कुमार के नाम की जगह विवेक जौहरी का नाम पैनल में जुड़ गया। 

वीके सिंह का नाम इसलिए माना जा रहा फाइनल
पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्ति के संबंध में यह देखा जाता है कि नियुक्ति की तिथि से उन्हें कम से कम दो साल तक का वक्त दिया जाए। वीके सिंह मार्च 2021 में रिटायर हो रहे हैं। पैनल में शामिल विवेक जौहरी सितंबर 2020 और मैथलीशरण गुप्ता अक्टूबर 2020 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। केंद्र सरकार जौहरी को रिलीव करने से मना भी कर सकती है। इस लिहाज से वीके सिंह का रास्ता साफ माना जा रहा है। राज्य सरकार डीजीपी पद पर वीके सिंह को ही नियमित कर सकती है। डीजीपी पद के लिए दस साल के फील्ड वर्क की अनिवार्यता में फील्ड पोस्टिंग के साथ सीआईडी और इंटेलीजेंस सेवा को भी जोड़ दिया गया है। इसका फायदा वीके सिंह को मिला।
 
चौधरी पर चर्चा नहीं
1984 बैच में उपरोक्त तीनों नामों के अलावा संजय चौधरी भी हैं, लेकिन उनके नाम पर कोई चर्चा नहीं की गई। ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में उनके नाम पर शिकायत विचाराधीन है। इसी तरह 1985 बैच के अशोक दोहर के नाम पर एसीआर का पेंच लग गया। इसी कारण राजेंद्र कुमार का नाम आगे आया।


अब राज्य सरकार तय करेगी एक नाम
चयन समिति ने पैनल राज्य सरकार को भेज दिया है। अब राज्य सरकार इसमें से किसी एक नाम पर मुहर लगाएगी। राजेंद्र कुमार के बारे में कहा जा रहा है कि सरकारी तंत्र का एक पक्ष उनके पक्ष में था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। जौहरी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान के ओएसडी रह चुके हैं।